घरेलू हिंसा की शिकायत पर नोटिस जारी करने से पहले अदालत को प्रथम दृष्टया संतुष्ट होना होगा कि घरेलू हिंसा हुई है : सुप्रीम कोर्ट



घरेलू हिंसा की शिकायत पर नोटिस जारी करने से पहले अदालत को प्रथम दृष्टया संतुष्ट होना होगा कि घरेलू हिंसा हुई है : सुप्रीम कोर्ट


री-डिस्कवर इंडिया न्यूज इंदौर। शिकायतकर्ता पत्नी द्वारा घरेलु हिंसा कानून के तहत पति के दूसरे राज्यों में रहने वाले रिश्तेदारों के खिलाफ भी मौखिक आरोप लगाए थे, जिसमें निचली अदालत ने उन्हें भी आरोपी मानते हुए उनके खिलाफ भी नोटिस जारी कर दिया था और उच्च न्यायालय से भी कोई राहत न मिलने से व्यथित होकर पति श्यामलाल देवड़ा ने सुप्रीम कोर्ट में क्रिमिनल अपील नं. 141/2020 श्यामलाल देवड़ा व 13 अन्य विरुद्ध परिमला दायर की थी 22 जनवरी 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने 10 रिश्तेदारों जो अन्य शहरों और राज्यों में रहते थे उनको आरोपी मानने से इंकार कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि घरेलू हिंसा का आरोप लगाने वाली शिकायत में नोटिस जारी करने से पहले अदालत को इस बात से संतुष्ट होना होगा कि वास्तव में घरेलू हिंसा की घटना हुई है। इस मामले में एक पत्नी ने अपने पति और उसके माता-पिता सहित चौदह व्यक्तियों के खिलाफ घरेलू हिंसा के आरोप लगाए थे। जस्टिस आर बानुमति, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस हृषिकेश रॉय की पीठ ने उल्लेख किया कि, पति और माता-पिता पर घरेलू हिंसा को लेकर औसतन आरोप हैं कि उन्होंने उसके पिता द्वारा शादी के दौरान उपहार में दी गई शिकायतकर्ता पत्नी की ज्वैलरी को छीन लिया है और शिकायतकर्ता पत्नी को परेशान करने के कथित कार्य किया है । पीठ ने कहा, इस बात के लिए कोई विशिष्ट आरोप नहीं हैं कि अन्य रिश्तेदारों ने घरेलू हिंसा के कृत्यों को कैसे अंजाम दिया। यह भी ज्ञात नहीं है कि गुजरात और राजस्थान के निवासी अन्य रिश्तेदारों को पैसे के फायदे के लिए कैसे जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। चूँकि अन्य आरोपियों के खिलाफ कोई विशेष आरोप नहीं हैं, उनके खिलाफ घरेलू हिंसा का आपराधिक मामला जारी नहीं रखा जा सकता है और रद्द किया जा सकता है।" जब घरेलू हिंसा के कृत्य का आरोप लगाया जाता है, तो नोटिस जारी करने से पहले, अदालत को इस बात से संतुष्ट होना पड़ता है कि घरेलू हिंसा हुई है।